tag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post6474179584383160738..comments2023-08-22T15:29:13.395+05:30Comments on random ramblings: चले गाँव सेDr. Amar Jyotihttp://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-23460333657425871952008-10-05T03:07:00.000+05:302008-10-05T03:07:00.000+05:30मान्यवर,यह व्यथा जो लगभग हर देश अकी है, भारतीय दिह...मान्यवर,<BR/><BR/>यह व्यथा जो लगभग हर देश अकी है, भारतीय दिहाड़ी मज़दूर या अमेरिका में डे लेबरर का बिल्ला लगाये हुए लोग--- आपने बहुत सटीक लिखा है.<BR/><BR/>साधुवादराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-67112268506534134162008-09-27T15:13:00.000+05:302008-09-27T15:13:00.000+05:30कितनी गहरी अभिव्यक्ती!!कितनी गहरी अभिव्यक्ती!!दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-20025202033351069112008-09-25T01:03:00.000+05:302008-09-25T01:03:00.000+05:30अद्भुत सोच-क्या बात है!! बेहतरीन रचना!अद्भुत सोच-क्या बात है!! बेहतरीन रचना!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-68844285566877013472008-09-24T23:33:00.000+05:302008-09-24T23:33:00.000+05:30एक मजदुर की व्यथा आप ने सही कही हे, हम भी पेसे कम ...एक मजदुर की व्यथा आप ने सही कही हे, हम भी पेसे कम ओर काम ज्यादा चाहते हे...सच हमीं गरीबो को सताते हे ओर फ़िर बाते भी बडी बडी करते हे....<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-47068753252795053222008-09-24T20:20:00.000+05:302008-09-24T20:20:00.000+05:30कड़ी धूप में रहे खोदते पत्थर सी मिट्टी दिन भर,दो पल...कड़ी धूप में रहे खोदते पत्थर सी मिट्टी दिन भर,<BR/>दो पल रुक कर बीड़ी पी तो कामचोर कहलाये जी।<BR/><BR/><BR/>कल क्या होगा, काम मिलेगा या कि नहीं अल्ला जाने;<BR/>जिंदा रहने की कोशिश में जीवन कटता जाए जी। <BR/><BR/><BR/>सबसे पहले इस दिशा में सोचने के लिए आपको साधुवाद....दूजे बहुत खूब लिखा है आपने....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-398522286290252692008-09-24T19:32:00.000+05:302008-09-24T19:32:00.000+05:30एक दिहाडी मजदूर का बेहतरीन शब्दचित्रण किया है आपने...एक दिहाडी मजदूर का बेहतरीन शब्दचित्रण किया है आपने ! और यह सच्चाई सुबह आठ बजे किसी भी चौराहे पर जाकर कोई भी महसूस कर सकता है ! आपका कार्य इन गरीबों का बहुत बड़ा हितसाधक है ! यहाँ कोई नही सोचता इनके बारे में !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-34578395693021941182008-09-24T19:28:00.000+05:302008-09-24T19:28:00.000+05:30अच्छा शब्दचित्र। असंगठित मजदूरों की जिंदगी को सट...अच्छा शब्दचित्र। असंगठित मजदूरों की जिंदगी को सटीक ढंग से उकेरा है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1115690546437308633.post-62371458961524923772008-09-24T18:06:00.000+05:302008-09-24T18:06:00.000+05:30अमर ज्योति जी, रचना पढ़ कर आनंद हम को आया हैइसी लिए...अमर ज्योति जी, रचना पढ़ कर आनंद हम को आया है<BR/>इसी लिए टिप्पणी करनें को, मन अपना ललचाया है।<BR/><BR/>मजदूरों की व्यथा कही, आपने सुन्दर शब्दों में,<BR/>सच है दुनिया में गरीब को सबनें सदा सताया है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com