सबको मालूम थे हमसे भी भुलाए न गए
वे कथानक जो कभी तुमको सुनाये न गए
गीत लिखते रहे जीवन में अंधेरों के खिलाफ़
और दो-चार दिये तुमसे जलाए न गए
दूर से ही सुनीं वेदों की ऋचाएं अक्सर
यज्ञ में तो कभी शम्बूक बुलाए न गए
यूकेलिप्टस के दरख्तों में न छाया न नमी
बरगद-ओ-नीम कभी तुमसे लगाए न गए
इसी बस्ती में सुदामा भी किशन भी हैं नदीम
ये अलग बात है मिलने कभी आये न गए