आप सीने से फिसलता हुआ आँचल देखें
या किसी पाँव में बजती हुई पायल देखें
हम गंवारों की मगर एक ही रट है साहब
प्यासे खेतों पे बरसता हुआ बादल देखें
बुद्धिमानों की नसीहत से तो दिल ऊब चुका
अब तो चल कर कोई वहशी, कोई पागल देखें
घर की दीवारों के उस पार भी झांकें तो सही
और सड़कों पे उबलती हुई हलचल देखें
कोई दहशत है के वहशत मेरी आँखों में नदीम
शाख़ भी टूटे तो कटता हुआ जंगल देखें.