कब तलक चाँद सितारों को निहारा जाये
कुछ समय गलियों मुहल्लों में गुज़ारा जाये
कोई अवतार न आयेगा मसीहा कोई
चलिये ख़ुद अपने मुक़द्दर को संवारा जाये
तेरे कूचे में भी हर मोड़ पे रहज़न ही मिले
कोई फिर क्यों तेरी गलियों में दुबारा जाये
लोग आते भी हैं और साथ भी चल पड़ते हैं
शर्त बस ये है सलीक़े से पुकारा जाये
इन ख़ुदाओं की ख़ुदाई का ज़माना बीता
खींच कर अब इन्हें धरती पे उतारा जाये
कुछ समय गलियों मुहल्लों में गुज़ारा जाये
कोई अवतार न आयेगा मसीहा कोई
चलिये ख़ुद अपने मुक़द्दर को संवारा जाये
तेरे कूचे में भी हर मोड़ पे रहज़न ही मिले
कोई फिर क्यों तेरी गलियों में दुबारा जाये
लोग आते भी हैं और साथ भी चल पड़ते हैं
शर्त बस ये है सलीक़े से पुकारा जाये
इन ख़ुदाओं की ख़ुदाई का ज़माना बीता
खींच कर अब इन्हें धरती पे उतारा जाये