आम दिनों से हट कर कोई बात हुई
आज हमारे आँगन में बरसात हुई
आज हमारे आँगन में बरसात हुई
हम सूरज को तरसे भरी दुपहरी में
उनके घर पर धूप खिली जब रात हुई
उनके घर पर धूप खिली जब रात हुई
कैसी है विडम्बना उनकी हर करुणा
हम जैसों के मन पर इक आघात हुई
हम जैसों के मन पर इक आघात हुई
मगन खेल में रहे पता कैसे चलता
हर बाज़ी वे जीते अपनी मात हुई
हर बाज़ी वे जीते अपनी मात हुई
कैसे हो नदीम जब भी पूछा उसने
अधर चुप रहे आंखो से हर बात हुई
अधर चुप रहे आंखो से हर बात हुई