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Tuesday, October 20, 2009
कब तक
कब तक धूप चुरायेंगे
ये बादल छँट जायेंगे
आज तुम्हारा दौर सही
अपने दिन भी आयेंगे
ये परेड के फ़ौजी हैं
लड़ने से कतरायेंगे
फूल यहीं पर सूखेगा
पंछी तो उड़ जायेंगे
दर्द थमा तो चल देंगे
दर्द बढ़ा तो गायेंगे
Saturday, October 3, 2009
सभी से
दुखों से दोस्ताना हो गया है
तुम्हें देखे ज़माना हो गया है
खिलौनों के लिये रोता नहीं है
मेरा बेटा सयाना हो गया है
भरी महफ़िल में सच कहने लगा है
इसे रोको- दिवाना हो गया है
मुखौटा इक नया ला दो कहीं से
मेरा चेहरा पुराना हो गया है
कभी संकेत में कुछ कह दिया था
उसी का अब फ़साना हो गया है
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Dr. Amar Jyoti
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