मक्ता आपका हस्ताक्षर शेर है इस बार " दर्द थमा तो चल देंगे, दर्द बढ़ा तो गायेंगे". ये कितना खूबसूरत कहा है आपने, और कहा ही क्यों ये तो जिया है आपने ! पहले मिसरे में "थमा" और "चल देंगे" की जो विपरीत क्रियायें हैं, बहुत graphic सा असर पैदा कर रही हैं. "आज तुम्हारा दौर सही ..." कितना आत्मविश्वास भरा शेर ! मतले की भी खूबसूरती कम नहीं, "कब तक धूप चुरायेंगे ...." बहुत ही सकारात्मक सोच. इसी भाव एक शेर मैंने लिखा था दस बरस हुए, सोचती हूँ अब ग़ज़ल पूरी कर दूँ उस वनवासी शेर की :) "तू तो बादल है चमक मेरी क्या छुपायेगा ढक भी लेगा तो किनारे से जगमगायेगा " ---- अब बचे आपके दो शेर, दोनों भावनात्मक ढंग से बहुत ही सुन्दर हैं, बिम्ब भी नए हैं. Frankly अपनी bold images के कारण दिखायी से देते हैं ये शेर. पर अब डाक्टर, आपसे बिना लड़ाई किये थोड़ी छोड़ दूँगी इस ग़ज़ल को, सो कहिये कि आपको किसने कहा कि परेड के फौजी लड़ने से कतराते हैं -- मुझे पता है आप कहेंगे अभिदा और व्यंजना का भेद कीजिए मोहतरमा :) ... और ये भी कहिये कि पंछी और फूल का क्या नाता है, फल लिखा होता तो मानती :) बहुत सुन्दर लिखते हैं आप, लिखते रहिये ... सादर . . .
कम से कम ४ बार आज यह ग़ज़ल अपनों को सुनाई !हर बार नया आनंद आया, आपका धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता धन्यवाद
ReplyDeleteमक्ता आपका हस्ताक्षर शेर है इस बार " दर्द थमा तो चल देंगे, दर्द बढ़ा तो गायेंगे". ये कितना खूबसूरत कहा है आपने, और कहा ही क्यों ये तो जिया है आपने ! पहले मिसरे में "थमा" और "चल देंगे" की जो विपरीत क्रियायें हैं, बहुत graphic सा असर पैदा कर रही हैं.
ReplyDelete"आज तुम्हारा दौर सही ..." कितना आत्मविश्वास भरा शेर !
मतले की भी खूबसूरती कम नहीं, "कब तक धूप चुरायेंगे ...." बहुत ही सकारात्मक सोच. इसी भाव एक शेर मैंने लिखा था दस बरस हुए, सोचती हूँ अब ग़ज़ल पूरी कर दूँ उस वनवासी शेर की :)
"तू तो बादल है चमक मेरी क्या छुपायेगा
ढक भी लेगा तो किनारे से जगमगायेगा "
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अब बचे आपके दो शेर, दोनों भावनात्मक ढंग से बहुत ही सुन्दर हैं, बिम्ब भी नए हैं. Frankly अपनी bold images के कारण दिखायी से देते हैं ये शेर.
पर अब डाक्टर, आपसे बिना लड़ाई किये थोड़ी छोड़ दूँगी इस ग़ज़ल को, सो कहिये कि आपको किसने कहा कि परेड के फौजी लड़ने से कतराते हैं -- मुझे पता है आप कहेंगे अभिदा और व्यंजना का भेद कीजिए मोहतरमा :)
... और ये भी कहिये कि पंछी और फूल का क्या नाता है, फल लिखा होता तो मानती :)
बहुत सुन्दर लिखते हैं आप, लिखते रहिये ... सादर . . .
Wahwa....
ReplyDeletedard thmaa, to chal denge
ReplyDeletedard barhaa, to gaaenge
haasil-e-ghazal sher hai
padh kar mn ko bahut sukoon milaa
badhaaee