बीन का रागिनी से रिश्ता हो
साँस का ज़िन्दगी से रिश्ता हो
ऐसी बस्ती बसाइये जिसमें
सबका सबकी ख़ुशी से रिश्ता हो
अपनी गिनती है देवताओं में
किस लिये आदमी से रिश्ता हो
ये दुमहले गिरें तो अपना भी
धूप से, रौशनी से रिश्ता हो
अब तो राजा हैं द्वारिका के किशन
किस लिये बाँसुरी से रिश्ता हो
साँस का ज़िन्दगी से रिश्ता हो
ऐसी बस्ती बसाइये जिसमें
सबका सबकी ख़ुशी से रिश्ता हो
अपनी गिनती है देवताओं में
किस लिये आदमी से रिश्ता हो
ये दुमहले गिरें तो अपना भी
धूप से, रौशनी से रिश्ता हो
अब तो राजा हैं द्वारिका के किशन
किस लिये बाँसुरी से रिश्ता हो