मन में अकुलाते मगर प्रश्न पुराने से रहे
द्वारिका जा के ही मिल आओ अगर मिलना है
अब किशन लौट के गोकुल में तो आने से रहे
बावरा बैजू भी शामिल हुआ नौरतनों में
और फिर सारी उम्र होश ठिकाने से रहे
प्यासे खेतों की पुकारों में असर हो शायद
मानसूनों को समंदर तो बुलाने से रहे
सूखी नदियों पे बनाए हैं सभी पुल तुमने
अगले सैलाब में ये काम तो आने से रहे
प्यासे खेतों की पुकारों में असर हो शायद
मानसूनों को समंदर तो बुलाने से रहे
सूखी नदियों पे बनाए हैं सभी पुल तुमने
अगले सैलाब में ये काम तो आने से रहे