Saturday, February 20, 2010

लम्बी-चौड़ी

लम्बी-चौड़ी ताने मत
हमें बावला  जाने मत

हमें आज की बात बता
किस्से सुना पुराने मत

रोटी का जुगाड़ बतला
वेद-कुरान बखाने  मत

चाकर ही तो है उनका
ख़ुद को मालिक माने मत

तू भी तो हम जैसा है
आज भले पहचाने मत

8 comments:

  1. वाह वाह भाई जी !!
    आइना दिखा दिया दिग्गजों को ! इन पांच लाइनों में पांच पेज का सन्देश छिपा है !!

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  2. तू भी तो हम जैसा है

    आज भले पहचाने मत
    Maza aa gaya...holi mubarak ho!

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  3. हमें आज की बात बता

    किस्से सुना पुराने मत

    सादर नमन

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  4. दादा...बहुत दिनों में घर लौटी हूँ... और देखती क्या हूँ कि आप "Direct Speech" में लिख रहे है :) एकदम साफ़ साफ़... जैसे कोई protagonist अपने antagonist की मोटी बुद्धि देख के इशारों में बात कहना छोड़ के साफ़-साफ़ लफ़्ज़ों में बात करने लग जाए...:)
    बेहद सशक्त! तेज़-धार, चुभती हुई ग़ज़ल...
    थोड़ा तो रहम किया कीजिए :)
    अब इतने दिन हो गए हैं...तो आपका हस्ताक्षर शेर चुनने में कतरा रही हूँ ...पर फ़िर भी ..."रोटी का जुगाड़ बतला, वेद -पुरान बखाने मत" को चुन रही हूँ. ये कहीं भी सुनती आपकी और दुष्यंत जी की याद आती इससे! इसमें एक रोष के साथ ...एक चिंता भी है ... जो इसे कीमती बनाती है मेरे लिए...
    आप छोटी बहर के चैम्प हैं दादा!"
    सादर...शार्दुला

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  5. तू भी तो हम जैसा है
    आज भले पहचाने मत


    -बहुत शानदार!

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