रात की रानी से भीगी सी हवा लाया है कौन
चल के देखो तो तुम्हारे द्वार पर आया है कौन
गीत हों मधुमास के, या पतझरों की बात हो
देखना होगा खिला है कौन, मुरझाया है कौन
किसका पेशा बन गया था बेचना सूरज के स्वप्न
सुबह की पहली किरन झरते ही घबराया है कौन
छेड़िये चर्चा कभी संघर्ष की, बलिदान की
ग़ौर से फिर देखिये, चर्चा से कतराया है कौन
तोड़ दी थी डोर किसने एक ही पल में नदीम
और उसके बाद सारी उम्र पछताया है कौन
"छेडिये चर्चा कभी संघर्ष की ....." बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteकिस का पेशा बन गया----
ReplyDeleteछोडिये चर्चा कभी-----
लाजवाब शेर हैं। गज़ल बहुत अच्छी लगी बधाई।
बहुत सुंदर कविता.
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