दर्द पर अंकुश लगाना है कठिन
इन दिनों हंसना-हंसाना है कठिन
दूर रहने में कोई उलझन न थी
पास आकर दूर जाना है कठिन
आंख में आकाश के सपने लिये
उम्र पिंजरे में बिताना है कठिन
सीप तो सन्तुष्ट है एक बूंद से
प्यास सागर की बुझाना है कठिन
दुश्मनों की क्या कहें इस दौर में
दोस्तों से पार पाना है कठिन
दिल किसी बच्चे सा ज़िद्दी है नदीम
रूठ जाये तो मनाना है कठिन
आंख में आकाश के सपने लिये
ReplyDeleteउम्र पिंजरे में बिताना है कठिन ।
बहूत खूब ....बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
आंख में आकाश के सपने लिये
ReplyDeleteउम्र पिंजरे में बिताना है कठिन ।
बेहद उम्दा प्रस्तुति…………बहुत पसन्द आयी।
Beautifully expressed !
ReplyDeleteपास आकर दूर जाना है कठिन. सुन्दर अभिव्यक्ति. नव वर्ष आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय हो.
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