दर्द आँखों में नहीं
दर्द आँखों में नहीं दिल में दबाए रखना
इस ख़ज़ाने को ज़माने से छुपाए रखना
हमने बोये हैं अंधेरों में सदा धूप के बीज
हमको आता है उमीदों को जगाए रखना
आज के ख़त ये कबूतर ही तो पहुंचाएंगे कल
इन परिंदों को धमाकों से बचाए रखना
सारे रिश्तों की हक़ीक़त न परखने लगना
कुछ भरम जीने की ख़ातिर भी बचाए रखना
उसके आने का भरोसा तो नहीं फिर भी नदीम
इक दिया आस का देहरी पे जलाए रखना
:) I am so happy to see this long awaited post :) Jai Ho!!
ReplyDeletebahut hi badiya
ReplyDeletekamal ki rachna aap ke is khubsurat blog ko mai follow kr reha hu
http://blondmedia.blogspot.in/
वाह कमाल का लिखा है आपने बहुत खूब...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteउम्मीदों को जगाये रखना ही होगा
अमरदा, सारे शेर बला के खूबसूरत!
ReplyDeleteपर इस शेर के कहन का क्या कहना:
आज के ख़त ये कबूतर ही.... बेशकीमती ख़याल, नाज़ुक से पैराहन में लिपटा हुआ. अपने शाब्दिक और निहित दोनों अर्थों में बुलंद शेर!
---
हमने बोये हैं अंधेरों में सदा धूप के बीज....बधाई!
सादर शार्दुला
bahot pasand aayee.....
ReplyDeletesundar panktiyan
ReplyDelete