कहां गए वो लड़कपन के ख़्वाब, मत पूछो;
कड़ा सवाल है, इसका जवाब मत पूछो।
अकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
समंदरों में लहर का हिसाब मत पूछो।
मुबारकों की रवायत है कामयाबी पर,
कि कौन कैसे हुआ कामयाब, मत पूछो।
जो हर कदम पे मेरे साथ है, वो तनहाई
मेरा नसीब है या इंतख़ाब, मत पूछो।
अमावसों में चराग़ों का इंतज़ाम करो;
कहां फ़रार हुआ आफ़ताब मत पूछो।
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बहुत बढिया रचना लिखी है।बधाई।
ReplyDeleteअकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
समंदरों में लहर का हिसाब मत पूछो।
मुबारकों की रवायत है कामयाबी पर,
कि कौन कैसे हुआ कामयाब, मत पूछो
सुंदर रचना....सुंदर भाव
ReplyDeleteअकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
समंदरों में लहरों का हिसाब मत पूछो।
अति उत्तम
http://nitishraj30.blogspot.com
http://poemofsoul.blogspot.com
बढिया रचना.
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