Wednesday, August 11, 2010

यों तो संबंध

यों तो सम्बन्ध सहज से ही ज़माने से रहे
मन में अकुलाते मगर प्रश्न पुराने से रहे

द्वारिका जा के ही मिल आओ अगर मिलना है
अब किशन लौट के गोकुल में तो आने से रहे

बावरा बैजू भी शामिल हुआ नौरतनों में 
और फिर सारी उम्र होश ठिकाने से रहे


प्यासे खेतों की पुकारों में असर हो शायद
मानसूनों को समंदर तो बुलाने से रहे


सूखी नदियों पे बनाए हैं सभी पुल तुमने
अगले सैलाब में ये काम तो आने से रहे