Monday, July 23, 2012

उनकी महफ़िल है

उनकी महफ़िल है फ़क़त हंसने हंसाने के लिये
कौन जाये दर्द की गाथा सुनाने के लिये

जेब में मुस्कान रख कर घूमता है आदमी
जब जहां जैसी ज़रूरत हो दिखाने के लिये

ले गये कमज़र्फ हंस हंस कर वफ़ाओं की सनद
हम सरीखे ही बचे हैं आज़माने के लिये

गाँव में क्या था कि रुकते खेत घर सब बिक चुके
अब भटकते हैं शहर में आब-ओ-दाने के लिये

आज फिर राजा को नंगा कह गया सरकश कोई
फिर से हैं तैयारियां मकतल सजाने के लिये