Friday, August 8, 2008

जो कुछ भी

जो कुछ भी करना है, कर ले;
इसी जनम में जी ले, मर ले।

अवतारों की राह देख मत;
छीन-झपट कर झोली भर ले।

सीख तैरना अपने बल पर;
डूबेगी यह नाव; उतर ले।

सच में लगा झूठ के पहिये;
ये बोझा मत अपने सर ले।

वेद-क़ुरानों के बदले में

गिनती के ‘ढाई आखर’ ले।

4 comments:

  1. बहुत खूब.
    सही कहा.

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  2. अवतारों की राह देख मत;
    छीन-झपट कर झोली भर ले।
    sahi tasveer dikha di hai aapne

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  3. बहुत उम्दा,बधाई.

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  4. आपका यह अंदाज़ (कटाक्ष) अच्छा है !

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