Wednesday, July 15, 2009

सबको मालूम थे

सबको मालूम थे हमसे भी भुलाए न गए
वे कथानक जो कभी तुमको सुनाये न गए 

गीत लिखते रहे जीवन में अंधेरों के खिलाफ़
और दो-चार दिये तुमसे जलाए न गए
 
दूर से ही सुनीं वेदों की ऋचाएं अक्सर
यज्ञ में तो कभी शम्बूक बुलाए न गए 

यूकेलिप्टस के दरख्तों में न छाया न नमी
बरगद-ओ-नीम कभी तुमसे लगाए न गए

इसी बस्ती में सुदामा भी किशन भी हैं नदीम
ये अलग बात है मिलने कभी आये न गए

11 comments:

  1. बहुत अच्छे ,ये पंक्तियाँ बहुत बेहतरीन
    यूकेलिप्टिस के दरख्तों में छाया न नमी
    बरगद-औ-नीम तुमसे लगाए न गए

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  2. मिलिये जी सुदामा किशन और नदीम से भी !

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  3. atisundar ..........bhulaye na gaye ek ke panktiyan

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  4. एक तो अमर जी जब से आपने ये सेफ्टी लाक लगा दिया है कमेन्ट देना मुहाल हुआ जाता है :( शेर उद्धृत करने ले लिए टाईप करना पड़ता है स्वयं. अच्छा, उन साहब का क्या किया आपने जो आपकी ग़ज़लों को अपने ब्लॉग पे लगाए बैठे थे? कुछ किया या रामभरोसे छोड़ दिया है?
    ये तो हुई शिकायत :( अब प्रसंशा लीजिये :)
    पहला शेर hackneyed सा है. बाक़ी 4 बेहतरीन हैं, खूबसूरत हैं
    दो नाज़ुक ग़ज़लों के बाद फ़िर से आपकी धारदार कलम दिख रही है गरमजोशी से. "गीत लिखते रहे . . . " शेर से याद आ गयी वह डांट जो आपने "कमरे में ऐ सी के ऊपर . . ." वाले शेर में लगायी थी.
    शम्बूक वाला शेर याद दिला गया " तुम्हें निमंत्रण आया क्या . . ." . बहुत खूब लगा ये उद्धरण.
    लिखते रहिये.
    आपकी किताब थोड़ी थोड़ी, बार बार पढ़ती रहती हूँ. Its a joy forever:)

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  5. "दूर से ही सुनी वेदों की ऋचाएं अक्सर
    यज्ञ में तो कभी शम्बूक बुलाये न गए "
    कष्टकारक अध्याय......बहुत खूब भाईजी ! आपकी हर रचना में दर्द की अभिव्यक्ति व्यवस्थाओं से लड़ने की प्रेरणा देती है ! सादर शुभकामनायें !

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  6. बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल. हर शेर का कटाक्ष उचित,

    बधाई.

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  7. यूकेलिप्टिस के दरख्तों में छाया न नमी
    बरगद-औ-नीम तुमसे लगाए न गए

    Wah Amar ji kya baat kahi hai
    bahut sunder gazal

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  8. दे दीजियेगा बाद में औरों को मशविरा
    फ़िलहाल अपना गिरता हुआ घर समेटिये


    नदीम साहब,
    आज आपकी गजल संग्रह की पुस्तक चर्चा नीरज जी के ब्लॉग पर पढ़ी
    और उनसे ही मालूम हुआ की आप ब्लॉग जगत पर भी सक्रीय योगदान दे रहे है

    इतनी सुन्दर गजलों के लिए आपको हार्दिक बधाई देता हूँ
    निवेदन है की ब्लॉग पर समर्थक लिंक लगा दीजिये आपको नियमित पढना आसान हो जायेगा

    वीनस केसरी

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  9. इतनी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद, आपको फालो कर रहा हूँ

    वीनस केसरी

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