बेहद खूबसूरत डाक्टर साहिब ! फिर से एक नाज़ुक सी ग़ज़ल :) सभी शेर बड़े ही मनभावन. कुछ मिसरों में शब्दों और भावों की जादूगरी !! "रेत झरनी है . . . जिन्दगी कब . . ." इस बार चकरा गयी हूँ की आप का हस्ताक्षर किसे कहूँ :) शायद यह : "एक गुड्डा मिला था . . . "
मुट्ठियाँ बान्धने से क्या होगा
ReplyDelete===
बहुत खूब
यूँ तो हर ओर धूप बिखरी है
ReplyDeleteमेरे आंगन में कम उतरती है..
-बहुत जबरदस्त!! बेहतरीन !!
वाह। क्या बात है?
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ek sundar abhiwyakti ...........atisundar
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत डाक्टर साहिब !
ReplyDeleteफिर से एक नाज़ुक सी ग़ज़ल :)
सभी शेर बड़े ही मनभावन. कुछ मिसरों में शब्दों और भावों की जादूगरी !!
"रेत झरनी है . . .
जिन्दगी कब . . ."
इस बार चकरा गयी हूँ की आप का हस्ताक्षर किसे कहूँ :) शायद यह :
"एक गुड्डा मिला था . . . "
very nice composition as usual
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगी आप की यह कविता
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