तनहा कतरा की हस्ती क्या सबसे मिलकर दरिया बन जा बहुत बढ़िया
बच्चा बनने की ख्वाहिश --बहुत खूबसूरत
डाक्टर साहब, आपके लेखन के हिसाब से काफी नरम सी , नाज़ुक सी ग़ज़ल है :) खुशी हुई पढ़ के, अपनी-अपनी सी लगी रचना. सारे शेर खूबसूरत हैं. अंतिम शेर मेरे मन की भी आवाज़ समेटे है सो मुझे अधिक प्रिय लगा!
बहुत खूबसूरत!!
kuchh panktiyaan bahut sundar hai...
समझ दार बन कर क्या होगा,चल नदीम फ़िर बच्चा बन जा.बहुत सुंदर.धन्यवाद
Waah Nadeem saheb waah...Nihayat khoobsurat ghazal ke liye dili mubarakbaad kabool farmayen...ghazal ka sher lajawab hai...behtareen hai...waah...neeraj
नदीम साहेब निहायत खूबसूरत ग़ज़ल पढ़वाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया...ग़ज़ल का हर शेर बेहतरीन है...मेरी दिलीमुबारक बाद कबूल फरमाएं...नीरज
Bahut khub likha hai.Badhai.
bilkul apne jaisa ban jaa kamaal kaha haibahut hi sunder gazal padhwayi hai aapne
तनहा कतरा की हस्ती क्या
ReplyDeleteसबसे मिलकर दरिया बन जा
बहुत बढ़िया
बच्चा बनने की ख्वाहिश --
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
डाक्टर साहब, आपके लेखन के हिसाब से काफी नरम सी , नाज़ुक सी ग़ज़ल है :) खुशी हुई पढ़ के, अपनी-अपनी सी लगी रचना. सारे शेर खूबसूरत हैं. अंतिम शेर मेरे मन की भी आवाज़ समेटे है सो मुझे अधिक प्रिय लगा!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत!!
ReplyDeletekuchh panktiyaan bahut sundar hai...
ReplyDeleteसमझ दार बन कर क्या होगा,
ReplyDeleteचल नदीम फ़िर बच्चा बन जा.
बहुत सुंदर.
धन्यवाद
Waah Nadeem saheb waah...Nihayat khoobsurat ghazal ke liye dili mubarakbaad kabool farmayen...ghazal ka sher lajawab hai...behtareen hai...waah...
ReplyDeleteneeraj
नदीम साहेब निहायत खूबसूरत ग़ज़ल पढ़वाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया...ग़ज़ल का हर शेर बेहतरीन है...मेरी दिलीमुबारक बाद कबूल फरमाएं...
ReplyDeleteनीरज
Bahut khub likha hai.Badhai.
ReplyDeletebilkul apne jaisa ban jaa kamaal kaha hai
ReplyDeletebahut hi sunder gazal padhwayi hai aapne