अलीगढ़, २१ जून,२००९
डा. अमर ज्योति 'नदीम' के प्रथम ग़ज़ल संग्रह 'आँखों में कल का सपना है'
का लोकार्पण पद्मभूषण गोपाल दास नीरज ने होटल 'मेलरोज़ इन' में किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता जयपुर से पधारे प्रख्यात शायर लोकेश कुमार सिंह'साहिल'
ने की.
कार्यक्रम का शुभारम्भ गीतकार बनज कुमार 'बनज' की सरस्वती वन्दना से हुआ.
श्रीमती अर्चना'मीता', प्रो.आलोक शर्मा और पुश्किन द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण
द्वारा अभिनन्दन किया गया. विमोचन करते हुए पद्मभूषण गोपाल दास नीरज ने कहा
कि नदीम की ग़ज़लों में ग़ज़ल के सभी तत्त्व विद्यमान हैं और वे एक समर्थ शायर व
गज़लकार हैं. इस अवसर पर नीरज ने ग़ज़ल की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए
ग़ज़ल को आधुनिक काव्य की एक लोकप्रिय विधा बताया और अपने गीत व ग़ज़ल
भी सुनाये.
नदीम ने अपने लोकार्पित संग्रह से कुछ गज़लें पढीं और मनमोहन ने संग्रह की एक
ग़ज़ल की संगीतमय प्रस्तुति की. नदीम की ग़ज़ल 'हम जिये सारे खुदाओं,देवताओं
के बगैर' को ख़ूब सराहना मिली.
जयपुर से पधारे ख्यातिप्राप्त गज़लकार व समीक्षक अखिलेश तिवारी, अरुणाचल प्रदेश
से पधारे डा.मधुसूदन शर्मा, व हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर प्रेमकुमार ने संग्रह के बारे
में अपने-अपने समीक्षात्मक आलेख भी पढ़े. प्रेम पहाड़पुरी व सुरेन्द्र सुकुमार ने
नदीम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला.
समारोह के उत्तरार्द्ध में एiक कवि-गोष्ठी आयोजित की गई
जिसमें अशोक अंजुम(अलीगढ़),बनज कुमार बनज(जयपुर), अखिलेश तिवारी(जयपुर),
महेश चन्द्र गुप्त 'खलिश'(दिल्ली), राजकुमार 'राज'(दिल्ली) और लोकेश कुमार
सिंह 'साहिल'(जयपुर) ने कविता पाठ किया.समारोह के अंत में संग्रह के
प्रकाशक 'अयन प्रकाशन' के स्वामी भूपाल सूद ने धन्यवाद ज्ञापन
किया. प्रख्यात साहित्यकार, साहित्यिक पत्रिका 'अभिनव प्रसंगवश'
के संपादक एवं स्थानीय धर्मसमाज महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष
प्रोफेसर वेदप्रकाश अमिताभ ने कार्यक्रम का संचालन किया.
सभी चित्र देखने के लिये यहां क्लिक करें :
http://ibc2006. smugmug.com/ gallery/8649757_ WgANq/1/57088818 2_cqzGC
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ग़ज़ल संग्रह 'आँखों में कल का सपना है' के लोकार्पण पर ढेरो शुभकामनाये और बधाई..
ReplyDeleteregards
badhaaii
ReplyDeleteRachna
बहुत सारी शुभकामनाये, ओर बहुत बहुत बधई. इस संग्रह के लिये
ReplyDeleteबहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं. रपट के लिए आभार.
ReplyDeleteआपकी किताब की बहुत प्रतीक्षा थी. विमोचन के सफल आयोजन के लिए आपको और मीता भाभी को हार्दिक बधाई. आपके लेखन में इतना इंकलाब, सत्य और इतनी साफगोई है कि मन के भीतर तक उतर जाते हैं आपके अशआर! किताब तो इतनी ख़ूबसूरत है कि जब घर पहुँची तो ग़ज़लों की खुशबू से घर महक उठा. मेरे पुस्तक-संग्रह का एक नायाब मोती है ये किताब.
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित, शार्दुला
Bahut bahut badhayi aapko Amar ji
ReplyDeleteनदीम जी सादर प्रणाम,
ReplyDeleteआपकी पुस्तक मुझे प्राप्त हो चुकी है इसके रस में डूब रहा हूँ ... किस शे'र पे कहूँ के ये कमाल का लिखा है आपने... हर शे'र लाजवाब... भाषा शैली और ऊपर से इतनी सरलता से आपने समिश्रण किया है के पढ़ते सुनते ही बनता है .
आपका
अर्श