Monday, September 6, 2010

जीवन भर

जीवन भर पछताए कौन 
ऐसी लगन लगाए कौन


बैद  नहीं उपचार नहीं
फिर ये रोग लगाए कौन 


तू आयेगा - झूठी बात 
पर मन को समझाए कौन


उस नगरी में सारे सुख
उस नगरी में जाए कौन


मन ही मन का बैरी है 
और भला भरमाये कौन 

3 comments:

  1. बहुत दिनों बाद आया। पर दुरुस्त आया। काफी कुछ मिला पढने को।

    जीवनभर पछताये कौन, ऐसी लगन लगाये कौन? इसमे बहुत कुछ दर्शन छिपा है और यही आपकी खासियत है। इस खासियत को पढना बहुत भाता है। बेमिसाल।

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  2. उस नगरी में जाये कौन

    बहुत सही बात है.

    नमन

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