Wednesday, April 26, 2017

आम दिनों से हट कर कोई बात हुई
आज हमारे आँगन में बरसात हुई
हम सूरज को तरसे भरी दुपहरी में
उनके घर पर धूप खिली जब रात हुई
कैसी है विडम्बना उनकी हर करुणा
हम जैसों के मन पर इक आघात हुई
मगन खेल में रहे पता कैसे चलता
हर बाज़ी वे जीते अपनी मात हुई
कैसे हो नदीम जब भी पूछा उसने
अधर चुप रहे आंखो से हर बात हुई

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