आप सीने से फिसलता हुआ आँचल देखें
या किसी पाँव में बजती हुई पायल देखें
हम गंवारों की मगर एक ही रट है साहब
प्यासे खेतों पे बरसता हुआ बादल देखें
बुद्धिमानों की नसीहत से तो दिल ऊब चुका
अब तो चल कर कोई वहशी, कोई पागल देखें
घर की दीवारों के उस पार भी झांकें तो सही
और सड़कों पे उबलती हुई हलचल देखें
कोई दहशत है के वहशत मेरी आँखों में नदीम
शाख़ भी टूटे तो कटता हुआ जंगल देखें.
पहले शेर से लगा हल्की गज़ल है लेकिन आगे भारी हो गई
ReplyDeleteBahut achchee Gazal Khas kar ye sher
ReplyDeleteBuddhimanon kee naseehat e dil oob chuka
kyun chal kar koee mjanoo koee pagal dekhen.
"शाख भी टूटे तो कटता हुआ जंगल देखें !"
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई जी , वही चिर परिचित अंदाज़, काश हम आपकी रचनाओं से कुछ सीख सकें ....
सभी शेर एक से बढ कर एक, बहुत सुंदर.
ReplyDeleteधन्यवाद
डाक्टर, क्या बात है! कितना वज़नदार लिखा है, वह भी Friday को :)
ReplyDelete"प्यासे खेतों पे . . . "
"बुद्धिमानों की नसीहत . . ."
और इसने तो बिलकुल ही चित्त कर दिया, ऐसा लग रहा है कि किसी पंछी ने लिखा है:
"कोई दहशत है के वहशत . . . "
लिखते रहिये, पर इतनी देर नहीं लगाईयेगा अब !!
yeh anonymus kaahe post ho raha hai comment :) ???
घर की दीवारों के उस पार
ReplyDeleteबेहतरीन
घर की दीवरों के उस पार
ReplyDeleteबेहतरीन