किसी के लॉन मे रुक कर सरस गया पानी;
किसी के प्यासे लबों को तरस गया पानी।
पुकारते रहे मीलों तलक,पता न मिला;
न जाने कौन सी बस्ती में बस गया पानी!
फ़सल की प्यास के मौके पे हो गया रूपोश;
फ़सल पकी तो अचानक बरस गया पानी।
वो और होंगे मिला जिनको हो के आब-ए-हयात,
हमें तो नाग की मानिंद डस गया पानी।
सिवाय चश्म-ए-ग़रीबां कहीं नमी न रही;
जला उमीद का जंगल,झुलस गया पानी।
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badhiyaa!
ReplyDeleteपुकारते रहे मीलों तलक,पता न मिला;
न जाने कौन सी बस्ती में बस गया पानी!
फ़सल की प्यास के मौके पे हो गया रूपोश;
ReplyDeleteफ़सल पकी तो अचानक बरस गया पानी।
अजी केसे केसे शेर लिखते हो जुवान से खुद् ब खुद वाह वाह निकलती हे,
किसी की उम्मीदो पर अचानक बरस गया पानी.
धन्यवाद