घात प्रतिघात में रहो प्यारे;
हर खुराफ़ात में रहो प्यारे।
बात जो हो कभी न कहने की,
बात ही बात में कहो प्यारे।
कह दिया दूसरों से- ‘पहले आप’।
यूं न जज़बात में बहो प्यारे।
अपनी छतरी थमा दी औरों को;
क्यूं न बरसात में रहो प्यारे।
रोटियाँ! वो भी मान-आदर से!
अपनी औक़ात में रहो प्यारे।
Sunday, July 27, 2008
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