कोई साँसों में मेरी कँवल बो गया।
और फिर जा के जाने कहाँ खो गया।
एक बच्चा मुझे देख कर हँस दिया;
आज का मेरा दिन तो ग़ज़ल हो गया।
दिल को मालूम था तुम चले जाओगे
चन्द लमहों को फिर भी बहल तो गया।
उसके गिरने का चर्चा सभी ने किया
ये न देखा कि गिर के सँभल तो गया।
आबले पाँव के हमकदम हो गये;
ज़िन्दगी का सफ़र कुछ सहल हो गया।
Saturday, July 19, 2008
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अमर जी बहुत बेहतरीन गजल है।
ReplyDeleteउसके गिरने का चर्चा सभी ने किया
ये न देखा कि गिर के सँभल तो गया।
amar ji..
ReplyDeleteHow R u..? I M Palak..
maine abhi abhi aap ki sab post padhi it is lovely.. bus jyada kuch nahi kehna aap ko itna hi ki keep posting..
Palak