Saturday, September 13, 2008

टूटते सपनों की

टूटते सपनों की ताबीर से बातें करिये;

ज़िन्दगी भर उसी तसवीर से बातें करिये।


कैसा सन्नाटा है ज़िन्दान की तनहाई में,

तौक़ से, पाँव की ज़न्जीर से बातें करिये।


सर उठाने लगे हिटलर के नवासों के गिरोह,

अब कलम से नहीं, शमशीर से बातें करिये।


दिल के बहलाने को तिनकों से उलझते रहिये,

बात करनी है तो शहतीर से बातें करिये।


पाँव के छाले मुक़द्दर को सदा देते हैं;

हौसला कहता है तदबीर से बातें करिये।

2 comments:

  1. पाँव के छाले मुक़द्दर को सदा देते हैं;
    हौसला कहता है तदबीर से बातें करिये।

    बहुत खूब!

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  2. पाँव के छाले मुक़द्दर को सदा देते हैं;
    हौसला कहता है तदबीर से बातें करिये।

    बहुत खूब!

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