Sunday, July 27, 2008

पानी

किसी के लॉन मे रुक कर सरस गया पानी;
किसी के प्यासे लबों को तरस गया पानी।

पुकारते रहे मीलों तलक,पता न मिला;
न जाने कौन सी बस्ती में बस गया पानी!

फ़सल की प्यास के मौके पे हो गया रूपोश;
फ़सल पकी तो अचानक बरस गया पानी।

वो और होंगे मिला जिनको हो के आब-ए-हयात,
हमें तो नाग की मानिंद डस गया पानी।

सिवाय चश्म-ए-ग़रीबां कहीं नमी न रही;
जला उमीद का जंगल,झुलस गया पानी।

2 comments:

  1. badhiyaa!

    पुकारते रहे मीलों तलक,पता न मिला;
    न जाने कौन सी बस्ती में बस गया पानी!

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  2. फ़सल की प्यास के मौके पे हो गया रूपोश;
    फ़सल पकी तो अचानक बरस गया पानी।
    अजी केसे केसे शेर लिखते हो जुवान से खुद् ब खुद वाह वाह निकलती हे,
    किसी की उम्मीदो पर अचानक बरस गया पानी.
    धन्यवाद

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