Wednesday, July 2, 2008

साँस ही संत्रास है

साँस ही संत्रास है तो राम जाने
हर हँसी उपहास है तो राम जाने.

मरुस्थल में जल दिखे,अच्छा शकुन है
और यदि आभास है,तो राम जाने.

अब कोई अवतार रावण का न होगा;
राम को विश्वास है तो राम जाने.

इस समंदर में हलाहल है,अमृत है;
जल की तुझको प्यास है तो राम जाने.

कोई वैदेही भला क्यों साथ भटके!
राम का वनवास है, तो राम जाने.

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