Sunday, July 20, 2008

राजा लिख

राजा लिख और रानी लिख।
फिर से वही कहानी लिख॥

बैठ किनांरे लहरें गिन।
दरिया को तूफ़ानी लिख॥

गोलीबारी में रस घोल।
रिमझिम बरसा पानी लिख॥

राम-राज के गीत सुना।
हिटलर की क़ुरबानी लिख॥

राजा को नंगा मत बोल।
परजा ही बौरानी लिख॥

फ़िरदौसी के रस्ते चल।
मत कबीर की बानी लिख॥

1 comment:

  1. भाई वाह !
    वाकई मज़ा आगया , क्या मिटटी पलीद कि है तथाकथित कवियों कि, शायद पहली बार मैंने आपको पढ़ा है !
    बहुत अच्छा लिखते हैं आप,....

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